Gyanvapi Case: वाराणसी की इलाहाबाद हाइकोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. ज्ञानवापी परिषद में भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण ASI से साइंटिफिक सर्वे कराए जाने संबंधी वाराणसी जिला जज के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह फैसला मुख्य न्यायमूर्ती प्रीतिंदर दिवाकर ने सुनाया. कोर्ट ने कहा कि, न्याय हित में सर्वे कराया जाना उचित है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण की अनुमति देने पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि, “इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वेक्षण करने के लिए कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज़िला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से प्रभावी करने के लिए भी कहा है”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण करने की अनुमति देने पर समाजवादी पार्टी सांसद डॉ. एस. टी. हसन. ने कहा, “अदालत ने जो फैसला दिया उससे माना होगा. सर्वे के दौरान उस स्मारक को कोई नुकसान न पहुंचे. जो भी सर्वे का फैसला होगा वह हम मानेंगे लेकिन यह फैसला सभी पक्षों को मानना होगा. हमारे देश को आज सांप्रदायिक सौहार्द्र और राष्ट्रीय एकीकरण की बहुत जरूरत है. हम में से किसी को भी ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जिससे फासले बढ़ें.”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण करने की अनुमति देने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, “मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है. आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण करने की अनुमति देने पर AIMPLB सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि, “हमें उम्मीद है कि न्याय होगा क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं. हम भी चाहते हैं कि देश के सभी पूजा स्थलों पर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू हो. मुस्लिम पक्ष इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार करेगा.”