Hello Buddy: भारत का चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल (LM) चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और इतिहास रचने को तैयार है. इस बीच चांद की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 ने चंद्रयान-3 का स्वागत किया है. दोनों अंतरिक्षयानों का संपर्क स्थापित हो चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है. चंद्रयान के अब चांद की सतह पर उतरने में 46 घंटे के करीब समय बचा हुआ है. इसरो ने चांज की लैंडिंग के लिए पूरी तैयारी कर ली रखी गई है.
सोमवार को चंद्रयान-3 द्वारा इसके बारे में ट्वीट कर जानकारी दी गई. इस ट्वीट के अनुसार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है. दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क भी स्थापित हो चुका है. MOX के पास अब लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने के लिए कई रूट है और लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम 5.20 बजे से शुरू हो जाएगा. आप इसरो के अलग-अलग प्लैटफॉर्म (यूट्यूब चैनल, फेसबुक और सार्वजनिक प्रसारक डीडी नेशनल टीवी पर) से आप लाइव देख सकते हैं.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की बहुप्रतीक्षित सॉफ्ट लैंडिंग से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व निदेशक और पिछले चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ के प्रभारी के सिवन ने सोमवार को उन्होंने कहा कि मिशन ”शानदार सफलता” होगा. सिवन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह बहुत चिंताजनक क्षण है…मुझे यकीन है कि इस बार यह एक बड़ी सफलता होगी.”
“हमारे पास अपना सिस्टम है और हम बिना किसी समस्या के सॉफ्ट लैंडिंग स्थापित करेंगे. लेकिन यह एक जटिल प्रक्रिया है,” उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन से प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वे अतिरिक्त प्रणालियाँ भी स्वदेशी थीं, सिवन ने कहा, “सब कुछ स्वदेशी है.”
इससे पहले आज, इसरो ने लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) द्वारा ली गई चंद्रमा के सुदूरवर्ती क्षेत्र की तस्वीरें जारी कीं. यह कैमरा नीचे उतरते समय – बोल्डर या गहरी खाइयों के बिना – एक सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में सहायता करता है.
विशेष रूप से, अंतरिक्ष यान का ‘विक्रम’ लैंडर मॉड्यूल हाल ही में प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया, और बाद में महत्वपूर्ण डीबूस्टिंग युद्धाभ्यास से गुजरकर थोड़ी निचली कक्षा में उतर गया. चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है.
अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (LVM-3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से यह कक्षीय युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के माध्यम से चंद्रमा की सतह के करीब उतारा गया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किए हुए एक महीना और सात दिन हो गए हैं. अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था.