Parliament Monsoon Session: राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संजय सिंह के सस्पेंशन पर कड़ा विरोध का जताया किया है. साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि क्या चर्चा करने की माँग करना कोई जुर्म है. इस मौक़े पर उन्होंने राज्यसभा स्पीकर से कई सवाल भी पूछे हैं. चड्ढा ने कहा कि चेयरमैन साहब ने हमारी ओर नहीं देखा, संजय सिंह को तो छोड़िए उन्होंने विपक्ष की ओर ही नहीं देखा.
इस मुद्दे पर बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा, “मणिपुर में हो रही हैवानियत की घटनाओं पर सरकार से जवाब मांगने के लिए आम आदमी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने लगातार चेयरमैन साहब से आग्रह किया कि मणिपुर के विषय पर चर्चा हो और सरकार जबाव दे कि हमारे देश का एक अभिन्न अंग हमारा एक महत्वपूर्ण बार्डर राज्य क्यों जल रहा है. वहां की परिस्थिति क्या है? दोनों जगह भाजपा की सरकार है. डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद मणिपुर क्यों जल रहा है. ये चिंता व्यक्त करते हुए सदन में मांग की है.
राघव चड्ढा ने आगे कहा कि. सदन की कार्यवाही जब शुरु हुई तो संजय सिंह अपनी ही निर्धारित जगह पर खड़े होकर मांग करते रहे, और देखते रहे कि कब उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिले. लेकिन चेयरमैन साहब ने हमारी ओर नहीं देखा, संजय सिंह को तो छोड़िए उन्होंने विपक्ष की ओर ही नहीं देखा. फिर लगभग 10 मिनट इंतजार किया, संजय सिंह चेयर मैन के पास गए और विनती करने का प्रयास किया की मणिपुर पर चर्चा कराई जाए.
उन्होंने कहा, “नियम 267 के तहत मणिपुर के विषय पर चर्चा हो. लेकिन दुख की बात यह है कि जैसे ही वो अपनी चेयर छोड़कर आगे बढ़े, चेयरमैन साहब ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. राघव चड्ढा ने कहा कि लोकतंत्र में अगर सत्ता पक्ष विपक्ष बहस नहीं कर सकता है चर्चा नहीं कर सकता तो फिर लोकतंत्र का मतलब क्या रह जाता है,
साथ ही उन्होंने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने ऐसा कौन सा अपराध किया है जो उन्हें सस्पेंड किया गया. क्या चर्चा की मांग करना अपराध है?, क्या मणिपुर के लोगों की आवाज उठाना अपराध है?. मणिपुर की बेटियों की चीखें भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कानों तक पहुंचाना अगर अपराध है, तो संजय सिंह ही नहीं पूरे विपक्ष को सस्पेंड करिए.”